दुनिया भर में बहुधात्विक पिण्डिकाओं को कॉपर, कोबाल्ट, निकल और मैग्नीज़ जैसी महत्वपूर्ण धातुओं की बढ़ती मांग को पूरा करने वाले संभावित संसाधनों के रूप में देखा जाता है। भारत को अग्रणी निवेशक का दर्जा दिया गया है और इसे बहु धात्विक पिण्डिका खनन के लिए अन्वेषण और प्रौद्योगिकी विकास हेतु अंतरराष्ट्रीय समुद्र संस्तर प्राधिकरण (आईएसए) द्वारा मध्य हिंद महासागर बेसिन (सीआईओबी) में एक स्थल आबंटित किया गया है। महासागर से संसाधनों के दोहन के लिए विश्वसतीय गहरी समुद्र खनन प्रणाली के विकास से निकट भविष्य में देश की आत्म निर्भरता को बढ़ाने तथा खनिजों की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नै।
सुनम्य खनन प्रणालियों के विकास के लिए 30 मि.मी. व्यास (अधिकतम) के नॉड्यूल को एक लचीले होस के माध्यम से भेजा जाता है जिसका आंतरिक व्यास 90 मि.मी. होता है और इसमें प्रणाली से संबंधित विभिन्न कारकों पर विचार करते हुए अधिकतम 30 प्रतिशत सांद्रता होती है। जबकि यदि एक बफर भंडारण इस्तेमाल किया जाता है, तो 75 मि.मी. तक के ठोस को संभालने में सक्षम सेंट्रीफ्यूगल पंप / उचित पंप की जरूरत होगी। कम गहराइयों (लगभग 3000 मीटर) से अन्य गहरे समुद्री खनिजों की पंपिंग के लिए भी वही आवश्यकता होगी। उक्त पंपों का विकास उप समुद्र प्रचालनों हेतु किया जाना है और इनके निष्पादन की आवश्यकताओं का अध्ययन किया जाएगा। इसमें बिजली की आवश्यकता भी अधिक है और अधिक वॉल्टेज प्रणाली के उपयोग की जरूरत होती है।
यह प्रस्तावित है कि विभिन्न क्षेत्रों में पदार्थों और वेल्ड किए गए जोड़ों के लिए अध्ययन किया जाए, जहां पानी के नीचे का दबाव, क्षरण और श्रांति असर डालती है। साथ ही उप समुद्री नियंत्रण प्रणालियों, और ध्वानिक स्थिति और इमेजिंग प्रणालियों का विकास, बडे ठोस मीडिया हेतु, क्षरण, श्रांति, टूट फूट, क्षरण, हाइड्रोलिक तरल, अंतर्जलीय बहाव और घनत्व मीटर विकास का अध्ययन, अंतर्जलीय विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियां – स्वदेशीकरण का कार्य किया जाएगा, जहां भी संभव हो।
नियंत्रण प्रणालियों का विकास जो दीर्घ अवधि तक अबाधित प्रचालनों की सुविधा दे सकें और जहां फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म जैसे बड़े पैमाने के खनन प्रचालनों के लिए प्रणालियों के अभिविन्यास डिजाइन को भी इस प्रस्ताव में संकल्पित किया गया है।
बहु खनन मशीनों के व्यवहार्य को एकल फ्लोटिंग स्टेशन से जोड़ कर विश्लेषण तथा संबद्ध डिजाइन का अध्ययन किया जाएगा।
जहां भी आवश्यक हो, प्रस्तावित है कि शैक्षिक संस्थानों, अनुसंधान और विकास संगठनों, उद्योगों और अंतरारष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर कार्य किया जाए।
मूलसंरचना सुविधाएं / प्रयोगशाला आवश्यकताएं
गहरे महासागर तल का अनुरुपण करने के लिए बेंटोनाइट बेड के साथ अंतर्जलीय खनन वाहन परीक्षण सुविधा के साथ बड़ी हैंडलिंग सुविधाओं की आवश्यकता है ताकि अंतर्जलीय खनन वाहनों पर विकास संबंधी अध्ययन किए जाएं। वाहन परीक्षण बेसिन में पांच मीटर से अधिक की गहराई होनी चाहिए और इसके नजदीक असेम्बली और समेकन बे भी होने चाहिए। एक सामान्य ईओटी क्रेन का उपयोग करते हुए उप समुद्री खनन मशीन के असेम्बली प्रचालनों के साथ-साथ बेंटोनाइट बेड पर भी खनन मशीन की तैनाती की सुविधा होनी चाहिए। उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, 10 मीटर की प्रचालन योग्य गहराई के साथ एक पूर्ण सुसज्जित प्रोटोटाइप परीक्षण बेसिन और संबद्ध परीक्षण सुविधाएं अंतर्जलीय प्रणालियों के परीक्षण हेतु अनिवार्य हैं।
(करोड़ रु. में)
योजना का नाम | 2012-13 | 2013-14 | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | कुल |
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गहरी समुद्र खनन प्रणाली का विकास | 93 | 88 | 36 | 14 | 16 | 247 |
Last Updated On 06/17/2015 - 11:27 |