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अनुसंधान और क्षमता निर्माण

मौसम और जलवायु संबंधी पूर्वानुमानों को बेहतर बनाने के लिए पृथ्‍वी विज्ञान के क्षेत्र में नए विचारों के समावेश और नए ज्ञान के प्रयोग से निरं‍तर ज्ञान का उन्‍नयन किए जाने की आवश्‍यकता है। ऐसा देश के विभिन्‍न अनुसंधान और विकास संस्‍थानों में कार्यरत विशेषज्ञता को शामिल करते हुए बहु-संस्‍थागत और बहु-शाखीय उपागम को अपनाने के बहु-संस्‍थागत और बहु-शाखीय उपागम को अपनाने के द्वारा प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। अत: र्इएसएसओ का प्रस्‍ताव है कि बारहवीं योजना के दौरान भारत में और विदेशों में स्थित विभिन्‍न संस्‍थानों को शामिल करते हुए नेटवर्क परियोजनाओं के माध्‍यम से विषय केंद्रित अनुसंधान और विकास में सहयोग दिया जाए। विचारों के आदान-प्रदान और पृथ्‍वी विज्ञान के क्षेत्र में हुए नवीनतम वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक विकासों की जानकारी हेतु वैज्ञानिकों के लिए उनके संबंधित क्षेत्र में अंतर्राष्‍ट्रीय अध्‍येता वृत्तियों फेलोशिप्‍स अथवा प्रायोजित अध्‍येतावृत्तियों के माध्‍यम से विभिन्‍न राष्‍ट्रीय/अंतर्राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाओं में दौरा करने के माध्‍यम से विशेष प्रबोधन कार्यक्रमों का आयोजन प्रस्‍तावित है। पृथ्‍वी विज्ञान के क्षेत्र में घटती वैज्ञानिक जनशक्ति के मुद्दे का समाधान करने हेतु मंत्रालय 12 वीं योजना के दौरान देश के प्रतिष्ठित संस्‍थानों में एम टेक, एम एससी और पीएच डी पाठ्यक्रमों, आईआईटी और आईआईएसईआर में एमओईएस पीठ की स्‍थापना, विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों में अत्‍याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं युक्‍त उत्‍कृष्‍टता केंद्र खोलने हेतु वित्तपोषण जारी रखेगा। 

क) उद्देश्‍य :

  1. आईआईटी और आईआईएसईआर में पीठ की स्‍थापना द्वारा मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों में सहायता करना;
  2. आईआईटी और आईआईएसईआर में शैक्षणिक कार्यक्रम प्रारंभ करना;
  3. विश्‍वविद्यालयों में उत्‍कृष्‍टता केंद्र खोलना;
  4. हमारे वैज्ञानिकों को विशेषज्ञता प्राप्‍त विश्‍वविद्यालयों/प्रयोगशालाओं में प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍येतावृत्ति और प्रायोजित अध्‍येतावृत्ति प्रदान करना;
  5. बहु-संस्‍थागत और बहु-शाखीय वैज्ञानिक विशेषज्ञता के एकीकरण के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय महत्‍व के विषय केंद्रित अनुसंधान क्षेत्रों पर नेटवर्क परियोजनाएं तैयार करना।

पश्चिमी घाट में अत्‍यधिक वर्षा की दशाओं का वन और कृषि – पारिस्थितिकियों पर प्रभाव, दक्षिण एशियाई अंत:क्षेपण, जल मौसम-विज्ञान संबंधी फीडबैक और जल भंडारण में परिवर्तन तथा उत्तरी भारत बेसिनों में ज्‍वार, बेहतर सिंचाई जल प्रबंधन द्वारा भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभाव को कम करने, पूर्व, वर्तमान और भावी जलवायु के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में भूमिगत जल प्रणालियों की संरचना और गति-विज्ञापन और गंगा-ब्रहमपुत्र बेसिन में अपरदन और बाढ़ जोखिम हानियों पर विभिन्‍न क्षेत्रीय कारकों की भूमिका को समझने के विशेष संदर्भ में परिवर्तित होते जल चक्र का अध्‍ययन किया जाएगा। समान हित के क्षेत्रों में संयुक्‍त कार्यकलापों को सहयोग प्रदान करने के द्वारा देशज क्षमता पर बल दिया जाएगा। पृथ्‍वी प्रणाली विज्ञान में राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय वैज्ञानिक समूहों के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी सहायोग जारी रहेगा। मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सेवाओं के प्रभाव और आर्थिक संदर्भ में वास्‍तविक प्रयोक्‍ता को प्राप्‍त लाभ पर नियमित रूप से फीडबैक प्राप्‍त करने हेतु मंत्रालय सदैव इस बात का समर्थन करेगा कि इसकी सेवाओं का आवधिक रूप से तृतीय पक्ष द्वारा मूल्‍यांकन कराया जाए।

ख)प्रतिभागी संस्‍थाएं:

पृथ्‍वी प्रणाली विज्ञान संगठन, दिल्‍ली

ग) कार्यान्‍वयन योजना :

  1. मंत्रालय के कार्यकलापों से संबंधित प्रस्‍तावों पर वित्तपोषण हेतु विचार किया जाएगा।
  2. अनुसंधान प्रस्‍तावों की मंत्रालय द्वारा स्‍थापित प्रक्रिया अनुसार समीक्षा की जाएगी और पीठों तथा उत्‍कृष्‍टता केंद्र से संबंधित प्रस्‍तावों पर कार्यान्‍वयनकर्ता संस्‍थान में मौजूद वैज्ञानिक योग्‍यता के अनुसार मामला दर मामला आधार पर विचार किया जाएगा।
  3. एक बार वित्तपोषित किए गए प्रस्‍ताव की मध्‍यावधि स्‍तर पर समीक्षा की जाएगी।
  4. वार्षिक रिपोर्ट और निधि उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने पर ही आगे की निधियां जारी की जाएंगी।
  5. परियोजना पूर्ण होने पर परियोजना पूर्णता रिपोर्ट प्रस्‍तुत की जाएगी।

घ) वितरण योग्‍य:

नेटवर्क परियोजनाओं के परिदेय, यदि बेहतर पाए गए तो देश की समग्र मौसम और समुद्री सेवाओं के सुधार हेतु इनका प्रचालनात्‍मक उपयोग किया जाएगा।

आशा है कि एम एससी और पीएच डी पाठ्यक्रमों से पृथ्‍वी विज्ञान में क्षमता निर्माण में सहायता मिलेगी और इसके परिणामस्‍वरूप एमओईएस संस्‍थानों में कम हो रही वैज्ञानिक जनशक्ति की पूर्ति होगी। उतकृष्‍टता केंद्र और एमओर्इएस पीठ/प्रोफेसर पद की स्‍थापना से पृथ्‍वी और जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में विषय केंद्रित अनुसंधान कार्यकलापों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।

ङ) बजट की आवश्‍यकता : 290 करोड़

(करोड़ रु.)

बजट आवश्‍यकता
योजना का नाम 2012-13 2013-14 2014-15 2015-16 2016-17 कुल
अनुसंधान और क्षमता निर्माण 38 53 54 67 78 290