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भारतीय क्षेत्र अक्सर अलग-अलग प्रकार की जल-मौसम संबंधी आपदाओं जैसे भारी बारिश, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तूफान महोर्मि, तीव्र स्‍थानीय तूफानों जैसे गरज के साथ तूफान, ओलावृष्‍टि, बादल का फटना, टॉरनेडो, बाढ़, लू और शीत लहर आदि से प्रभावित रहता है। लगभग हर साल प्रभावित होता है । इन आपदाओं से जान और कई हजार करोड़ रुपये की संपत्ति का भारी नुकसान होता है । प्राकृतिक आपदाओं को जबकि रोका या नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, फिर भी जीवन के नुकसान और संपत्ति की क्षति को काफी हद तक इन आपदाओं के आसन्न प्रभाव को सटीक पूर्वानुमान लगाकर/परामर्शियां जारी करके कम किया जा सकता है। सटीक और उन्‍नत परामर्शियों से आपदा प्रबंधकों को सभी आवश्‍यक तैयारियां और प्रशमन कार्रवाई आरंभ करने के लिए पर्याप्‍त अग्रिम समय मिलेगा जिससे इन आपदाओं के कारण होने वाले जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।

 भीषण स्थानीय तूफान, लू और शीतलहरों जैसी जल-मौसम वैज्ञानिक आपदाओं से मानवजीवन और देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर इस तथ्‍य के बावजूद कि पूर्वानुमान मॉडलों का पर्याप्‍त विकास हुआ है जिसके फलस्‍वरूप हाल ही के वर्षों में लघु और मध्‍यम अवधि के पूर्वानुमानों में सटीकता बढ़ी है, निरंतर कुप्रभाव पडा है। और जल-मौसम संबंधी आपदाओं सटीकता में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रदर्शन करते हैं । भारत में स्थानीयकृत गंभीर मौसम प्रणालियों की भविष्यवाणी के कौशल में सुधार के लिए पर्याप्त गुंजाइश है। भारतीय परिस्थितियों में स्थानीयकृत उच्च प्रभाव विषम मौसम प्रणालियों में सुधार के लिए उपयुक्त सदृशीकरण और मॉडलिंग प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है । इसमें डेटा सदृशीकरण के विभिन्‍न प्रकार, मॉडल गतिकी और भौतिकी, उपयुक्‍त पोस्‍ट प्रोसेसिंग, पूर्वाग्रह हटाना, समष्‍टि और सुपर-समष्‍टि अवधारणा आदि के प्रेक्षण की उपयोगिता शामिल की जा सकती है। उत्‍पादों को विभिन्‍न केंद्रीय और राज्‍य एजेंसियों द्वारा जोखिम/संवेदनशीलता निर्धारण, प्रशमन और प्रबंधन कार्यनीतयों के लिए चेतावनी प्रणाली तैयार करने में बेहतर उपयोगिता के लिए अपेक्षित जीआईएस सिस्‍टम से जोड़ा जा सकता है ।

क)उद्देश्य:

  1. विषम मौसम प्रक्रियाओं की बुनियादी समझ को बेहतर बनाने के लिए प्रेक्षणों और मॉडलिंग के माध्यम से क्षेत्र अनुसंधान करना।
  2. प्रतिकूल मौसम प्रणालियों के पूर्वानुमान और चेतावनी में सुधार करने के लिए बादल विभेदन मॉडल का विकास और परीक्षण ।
  3. प्रतिकूल मौसम प्रणाली के लिए प्रेक्षण परीक्षण बेड का विकास

ख)प्रतिभागी संस्‍थान:

  1. राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र, नोएडा
  2. भारत मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली

(ग) कार्यान्वयन योजना:

कार्यक्रम को एक गहन सहयोगात्मक तरीके से समयबद्ध ढंग से प्रचालनात्‍मक कार्यान्‍वयन के साथ-साथ परिचालन, अनुसंधान और शैक्षिक समुदाय तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकारियों के साथ आरंभ किया जा सकता है। 

घ) डेलीवरेबल्‍स :

वायुमंडलीय प्रक्रियाओं पर फील्‍ड अनुसंधान करने के लिए राष्ट्रीय सुविधा केंद्र की स्थापना।

ङ) विदेशी मुद्रा घटक सहित बजट आवश्यकता: 89.00 करोड़ रुपए:

(करोड़ों रु. में)

बजट आवश्यकता
योजना का नाम 2012-13 2013-14 2014-15 2015-16 2016-17 कुल
उच्च प्रभाव प्रतिकूल मौसम की चेतावनी प्रणाली 10.00 20.00 25.00 20.00 14.00 89.00