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डीप ओशन मिशन

महासागर, जो विश्व के 70 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं, हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।गहरे महासागर के लगभग 95 प्रतिशत भाग में अभी तक खोजबीन नहीं की जा सकी है।भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है, तथा देश की लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या तटवर्ती क्षेत्रों में रहती है, ऐसे में मत्स्यपालन एवं एक्वाकल्चर, पर्यटन जीवनयापन एवं ब्ल्यू ट्रेड को सपोर्ट करने के दृष्टिकोण से समुद्र एक प्रमुख आर्थिक कारक है।समुद्र खाद्य-पदार्थ, ऊर्जा, खनिज पदार्थों, औषधियों का भंडारगृह है, तथा मौसम एवं जलवायु का मॉड्युलेटर तथा पृथ्वी पर जीवन का आधार है।संवहनीयता के दृष्टिकोण से महासागरों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2021-2030 के दशक को संवहनीयता विकास के लिए महासागर विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया है।भारत के पास एक अद्वितीय समुद्री पोजीशन है।भारत की तटरेखा 7517 किमी लंबी है, जो नौ तटीय राज्यों और 1382 द्वीपों से होकर गुजरती है।फरवरी 2019 में भारत सरकार द्वारा प्रतिपादित विजन ऑफ न्यू इंडिया बाई 2030 के विजन में ब्ल्यू इकोनॉमी को वृद्धि के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है।

संसाधनों के लिए समुद्र की गहराईयों का अन्वेषण करने तथा समुद्री संसाधनों के संपोषीय विकास हेतु गहरे सागर में कार्य करने वाली प्रौद्योगिकियों का विकास करने के दृष्टिकोण से आर्थिक मामलों सम्बन्धी मंत्रीमण्डल समिति ने "डीप ओशन मिशन" पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के रु 4077.0 करोड़ की अनुमानित लागत वाले प्रस्ताव को अनुमोदित किया है, जिसे चरणबद्ध तरीके से 5 वर्षों की अवधि में क्रियान्वित किया जाएगा।प्रथम चरण में 3 वर्षों (2021-2024) की अनुमानित लागत रु 2823.4 करोड़ होगी।डीप ओशन मिशन, भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन मोड परियोजना होगी।पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) इस बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी मिशन का कार्यान्वयन करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।

डीप ओशन मिशन में निम्नलिखित छह प्रमुख घटक शामिल हैं।

  1. गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास: वैज्ञानिक सेंसर एवं टूल्स युक्त सूट के साथ समुद्र में 6000 मीटर की गहराई में 3 लोगों को ले जाने के लिए एक मानव-युक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी।अब तक बहुत कम देशों ने यह क्षमता हासिल की है।मध्य हिंद महासागर में 6000 मीटर गहराई से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी।खनिज पदार्थों का अन्वेषण अध्ययन निकट भविष्य में वाणिज्यिक दोहन का मार्ग प्रशस्त करेगा, इसके लिए शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र के संगठन - अन्तरराष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण द्वारा वाणिज्यिक दोहन संहिता तैयार की जानी है।यह घटक गहरे समुद्र में खनिजों और ऊर्जा के अन्वेषण और दोहन के ब्लू इकोनॉमी प्रयोरिटी एरिया में सहायता करेगा।
  2. महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास:इस अवधारणा प्रमाण घटक के अन्तर्गत मौसमी से लेकर दशकीय समय पैमानों पर महत्वपूर्ण जलवायु चारों को समझने एवं उनके प्रोजेक्शन प्रदान करने के लिए प्रेक्षणों एवं मॉडलों का एक स्यूट तैयार किया जाएगा।यह घटक समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र - तटवर्ती पर्यटन का समर्थन करेगा।
  3. पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं एवं उपलब्धियों के बारे में जनता, छात्रों, शिक्षाविदों और उपयोगकर्ता समुदायों में जागरूकता पैदा करना।
  4. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकीगत नवप्रवर्तन:मुख्य रूप से गहरे समुद्र की वनस्पति एवं जीव समेत माइक्रोब की बॉयो-प्रॉस्पेक्टिंग तथा गहरे समुद्र के जैव-संसाधनों के संपोषनीय उपयोग सम्बन्धी अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।यह घटक समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र - समुद्री अर्थव्यवस्था तथा सम्बद्ध सेवाओं का समर्थन करेगा।
  5. डीप ओशन सर्वे एवं एक्सप्लोरेशन:इस घटक का प्रमुख उद्देश्य यह है कि हिंद महासागर के मिड-ओशियानिक रिजेज में मल्टी-मेटल हाइड्रोथर्मल सल्फाइड मिनरलाइजेशन की सम्भावनापूर्ण साइटों का अन्वेषण एवं पहचान किया जाए।यह घटक समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र - गहरे समद्र में समुद्री संसाधनों के अन्वेषण समर्थन करेगा।
  6. महासागर से ऊर्जा तथा मीठा-जल:इस अवधारणा प्रमाण प्रस्ताव में ऑफशोर थर्मल एनर्जी कन्वर्जन (OTEC) से चलने वाले विलवणीकरण संयंत्रों के अध्ययन तथा व्यापक अभियांत्रिकी डिजाइन की अभिलकल्पना की गई है।यह घटक समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र - ऑफशोर ऊर्जा विकास का समर्थन करेगा।
  7. महासागर जीवविज्ञान हेतु एक उन्नत समुद्री केन्द्रइस घटक को समुद्री जीव विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में मानव क्षमता एवं उद्यम के विकास के रूप में लक्षित किया गया है।यह घटक ऑन-साइट बिजनेस इनक्यूबेटर केन्द्रों के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग एवं उत्पाद विकास में रूपांतरित करेगा।यह घटक समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र - समुद्री जैविकी, समुद्र आधारित व्यापार एवं समुद्र आधारित मैन्युफैक्चरिंग का समर्थन करेगा।

गहरे समुद्र में खनन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के रणनीतिक निहितार्थ हैं और ये व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं।इसलिए, अग्रणी संस्थानों और निजी उद्योगों के सहयोग से प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी बनाने का प्रयास किया जाएगा।गहरे सागर में अन्वेषण हेतु अनुसंधान पोत को एक भारतीय शिपयार्ड में निर्मित किया जाएगा, जिससे रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।यह मिशन समुद्री जीवविज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में क्षमता निर्माण पर भी निर्देशित है, जिससे भारतीय उद्योगों में रोजगार के अवसर मिलेंगे।इसके अतिरिक्त, विशेष उपकरणों, शिप की डिजाइन, विकास एवं फैब्रिकेशन तथा जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के सेटअप के परिणामस्वरूप भारतीय उद्योग, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्योग तथा स्टार्टअप, की वृद्धि में बहुत अधिक सहायता मिलेगी।