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पार्टनर एजेंसी सहयोग के क्षेत्र हस्ताक्षर की तिथि बड़ी उपलब्धियां
राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA), यूएसए। पृथ्वी प्रेक्षण और पृथ्वी विज्ञान में तकनीकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन। 16 अप्रैल 2008 4 नवंबर 2010 को राजनयिक नोट के आदान-प्रदान के साथ समझौता ज्ञापन सक्रिय बन गया। समझौता ज्ञापन को आगे 10 साल के लिए नवंबर 2030 तक विस्तारित कर दिया गया है।

इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, भारत और अमेरिका के पहचाने गए PIs के साथ विभिन्न कार्यान्वयन समझौते (IA) किए गए थे, जिसमें अच्छी तरह से परिभाषित उद्देश्य, डिलिवरेबल्स, व्यक्तिगत और साथ ही संयुक्त भूमिकाएं और निगरानी / मूल्यांकन तंत्र हैं।हार्मफुल एल्गल ब्लूम, ऑपरेशनल वेव मॉडलिंग और एसिमिलेशन, अफ्रीकी-एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई मानसून विश्लेषण और पूर्वानुमान के लिए रिसर्च मूरेड ऐरे (RAMA), मानसून डेस्क, उष्णदेशीय चक्रवात के क्षेत्र में पांच एंसे अनुबंध/SoIs सक्रिय हैं।कुछ महत्वपूर्ण परिणाम नीचे दिए गए हैं:

  • RAMA मूरिंग:सहयोग के परिणामस्वरूप हिंद महासागर की गतिशीलता और महासागर-वायुमंडलीय अंतःक्रियाओं की मूलभूत समझ प्राप्त हुई है जो RAMA मूरिंग्स से समुद्र के प्रेक्षण के माध्यम से मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं।2008 से लेकर अब तक 129 RAMA डिप्लॉय किए गए हैं।यह RAMA की वृद्धिशील बिबलियोग्राफी से सुस्पष्ट होता है।अब तक, RAMA मूरिंग्स के डेटा का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित 81 लेखों में किया गया है।पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय RAMA डेटा को वैश्विक महासागर विश्लेषण में भी एसिमिलेट कर रहा है और यह कपल्ड मॉडल द्वारा मौसमी मानसून पूर्वानुमान के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक स्थिति का निर्माण करता है, जिससे पूर्वानुमान में काफी सुधार हुआ है।इसके अतिरिक्त, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के विभिन्न कार्यालयों में कई ओशन जनरल सर्कुलेशन मॉडल संस्थापित किए गए हैं, और चलाए जाते हैं, तथा वे पूर्वानुमानों की वैलिडेशन के लिए रियल टाइम में में इस डेटा का उपयोग करते हैं।RAMA बुवॉय नेटवर्क अमेरिका के वैश्विक प्रयास का एक हिस्सा है,‍ जिसके अन्तर्गत अमेरिका राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार EEZ के बाहर डेटा एकत्र करने और सभी उपयोगकर्ताओं के साथ साझा करने के लिए कई देशों को एकजुट कर रहा है।भारतीय छात्रों को व्यापक लाभ हुआ है।ISRO/SAC ने उपग्रह डेटा वैलिडेशन के लिए इन डेटा सेटों का उपयोग किया, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रोडक्ट प्राप्त हुए।NOAA PMEL ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीनस्थ संस्थान NIOT को अपनी 10 साल की भविष्य की योजना पर उनके विचार जानने के लिए आमंत्रित किया है।पारस्परिक लाभ और उपयोगी डेटा सृजित करने में RAMA के महत्व को ध्यान में रखते हुए, इस गतिविधि को और पांच वर्षों के लिए जारी रखा गया है।

  • भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा की गतिशील मौसमी पूर्वानुमान के लिए, NCEP, USA में मानसून डेस्क की स्थापना की गई है जिसके अंतर्गत अत्याधुनिक गतिशील मॉडल विकसित, टेस्टेड और संचालित किया गया है।मॉडल के प्रदर्शन के मूल्यांकन में फ्लो पैटर्न के प्रदर्शन में 1 दिन का लाभ दर्शाया गया है।भारतीय क्षेत्र में और बेहतर प्रदर्शन के लिए सहयोगात्मक कार्य जारी है।इस IA के अंतर्गत, मानसून और इसकी परिवर्तनशीलता पर विशेष जोर देने के साथ कपल्ड और केवल वातावरण मॉडल का उपयोग करके मौसमी, विस्तारित-अवधि और अल्प-अवधि गतिशील पूर्वानुमानों के लिए सिस्टम स्थापित किए गए हैं।भारत के पास अब उप-मौसमी और मौसमी पूर्वानुमानों और बेहतर जलवायु पूर्वानुमानों की क्षमता है।इन मॉडलों को विभिन्न प्रकार के उपयोग में लाया जा रहा है जिसमें लू का पूर्वानुमान आदि शामिल है।उसी मॉडलिंग प्रणाली के एक संशोधित संस्करण का उपयोग जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए भी किया जाता है और इसने CMIP6 इंटर-कंपैरिजन में एक भारतीय इंट्री का आधार तैयार किया है।

  • उष्णदेशीय चक्रवात अनुसंधान:इस IA के अंतर्गत, 2012 में भारत मौसम विज्ञान विभाग में हाई-रिजोल्यूशन ऑपरेशनल हरिकेन वेदर रिसर्च एंड फोरकास्टिंग (HWRF) मॉडल संचालित किया गया था।भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इंकॉइस के साथ मिलकर NOAA के साथ 2 किमी के रिजोल्यूशन पर एक बहुत ही हाई रिजोल्यूशन HWRF को कार्यान्वयन करने के लिए काम किया है।उत्तरी हिंद महासागर में उष्णदेशीय चक्रवातों के रियल टाइम पूर्वानुमान के लिए हरीकेन WRF के युग्मित संस्करण को 2019 में कार्यान्वयन किया गया है।इस आईए को और पांच वर्ष की अतिरिक्त अवधि के लिए विस्तारित किया गया था, जो 18 जून 2018 से प्रभावी है।

  • फिशरीज एवं हार्मफुल अल्गल ब्लूम (HABs) के लिए प्रिडिक्टिव क्षमताओं का विकास:SoI के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं (क) पूर्वी अरब सागर के सार्डिन, मैकेरल और एन्कोवीज के अल्प-अवधि पूर्वानुमान में सुधार और (ख) भारतीय EEZ के लिए HAB मॉनिटरिंग और पूर्वानुमान सिस्टम (HAMPS) विकसित करना।महत्वपूर्ण उपलब्धियों में मछली के अंडे और लार्वा पर अनुसंधान क्षेत्र को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान, इसके पर्यावरणीय संबंध और वयस्क मत्स्य पालन की पूर्वानुमान के विकास में इसका महत्व शामिल है;सर्वेक्षण डिजाइन को संशोधित करने के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करना, बायोमास अनुमान की ध्वनिक पद्धति सम्बन्धी प्रशिक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र की समझ में CalCOFI अप्रोच और क्षेत्रीय मत्स्य मूल्यांकन आदि।"R" टूल्स का प्रयोग करते हुए भारत के दक्षिण पश्चिमी तट पर सार्डिन लैंडिंग के लिए एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया गया है, जो पहचाने गए सहसंयोजकों के साथ सांख्यिकीय सहसंबंध का उपयोग करते हैं, जैसे कि SST, अपवेलिंग इंडेक्स, हवा और धाराएं।

  • ओशन वेव मॉडलिंग:इंकॉइस में संचालित मल्टी-ग्रिड WAVEWATCH III जो 5 दिनों का वैश्विक लहर पूर्वानुमान अग्रिम में प्रदान करता है, इसे WAVEWATCH III संस्करण 4.10 में अपग्रेड किया गया है जो प्रतिदिन 10 दिनों का वैश्विक लहर पूर्वानुमान प्रदान कर रहा है।इंकॉइस में, भारतीय तटीय क्षेत्र के लिए वेव सर्ज फोरकास्ट सिस्टम विकसित करने का कार्य शुरू किया गया है।विशेष रूप से उत्तर पूर्व मानसून के दौरान वेव फोरकास्ट में सुधार के लिए NIO में मल्टीडायरेक्शन स्वेल के इंटरैक्शन का अध्ययन करने के लिएWAVEWATCH III सम्बन्धी प्रयोग प्रगति पर हैं।भारतीय तट पर रीयल टाइम वेव ऑब्जर्वेशन सिस्टम और शिप माउंटेबल AWS का एक नेटवर्क स्थापित किया गया है।इंकॉइस, WAVEWATCH III और SWAN का उपयोग करके, हिंद महासागर के लिए, एक लहर पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने हेतु NOAA के साथ मिलकर काम कर रहा है।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS), USA. पृथ्वी विज्ञान सम्बन्धी वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग से सम्बन्धित समझौता ज्ञापन।
दिनांक 1 नवंबर 2018 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और USGS के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, इसका उद्देश्य यह था कि दोनों संगठनों के पास उपलब्ध विशेषज्ञता को साझा किया जाए और पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया जाए।इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत विभिन्न तरीकों से सहयोग की परिकल्पना की गई है, जैसे कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और USGS दोनों के चल रहे कार्यक्रमों के साथ कंसिस्टेंट तकनीकी जानकारी, यात्राओं, प्रशिक्षण और सहकारी अनुसंधान का आदान-प्रदान।संयुक्त सहयोग के लिए संभावित विषयों/परियोजनाओं की एक सूची जून 2019 में USGS के साथ साझा की गई है, जिसमें सुनामी मॉडलिंग और तटीय प्रक्रियाएं शामिल हैं।इन विषयों पर विभिन्न माध्यमों से कार्य किया जाएगा, जैसे कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और USGS दोनों के चल रहे कार्यक्रमों के साथ कंसिस्टेंट तकनीकी जानकारी, यात्राओं, प्रशिक्षण और सहकारी अनुसंधान का आदान-प्रदान।
इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत मंत्रालय एक पायलट परियोजना के रूप में भारत के लिए भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली के विकास पर संयुक्त सहयोगात्मक कार्य करने की भी योजना बना रहा है।विदेश मंत्रालय के सचिव ने अपने अमेरिकी समकक्ष को पत्र लिखा है।
यूनिवर्सिटी कॉरपोरेशन फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (UCAR), USA. पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन। 24 सितम्बर 2014 समझौता ज्ञापन का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो गया, लेकिन गतिविधियां जारी हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और UCAR के बीच संयुक्त सहयोग के परिणामस्वरूप दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित की गई, है जिसे 15 अक्टूबर 2018 को लॉन्च किया गया था।दिल्ली के लिए हाई-रिजोल्यूशन एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम को तब से चालू कर दिया गया है।वार्निंग सिस्टम, 1 किमी रिजोल्यूशन पर भारत के उत्तरी क्षेत्र के कुछ और शहरों के लिए वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान भी प्रदान करता है।भविष्य की योजनाओं में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), और सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) द्वारा चलाए जा रहे लगभग 36 निगरानी स्टेशनों के डेटा को एसिमिलेट करने के प्रयास शामिल होंगे और, इसे अर्ली वार्निंग सिस्टम में प्रयोग किया जाएगा।डायनामिकल केमिस्ट्री ट्रांसपोर्ट मॉडल की प्रारंभिक स्थितियों में सुधार के लिए, प्रचलित मौसम विज्ञज्ञन संबंधी कारकों के साथ-साथ उत्तर पश्चिम भारत में पराली जलाने या धूल भरी आंधी के संबंध में उपग्रहों से मिलने वाली जानकारी को भी एसिमिलेट किया जाएगा।
नेशनल साइंस फाउंडेशन, यूएसए। इंटरनेशनल ओशन डिस्कवरी प्रोग्राम (IODP) कंसोर्टियम की एसोसिएट सदस्यता के लिए समझौता ज्ञापन। जून 2009।
NSF ड्रिलिंग प्लेटफॉर्म JOIDES RESOLUTION का उपयोग करके, भारतीय वैज्ञानिकों को समुद्री भू-वैज्ञानिक अनुसंधान पलेटफॉर्म, सेडीमेंट कोरिंग और ड्रिलिंग का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।13 विभिन्न राष्ट्रीय संगठनों के लगभग 30 भारतीय वैज्ञानिकों ने पिछले 5 वर्षों में गहरे समुद्र में तलछट/हार्ड कोर का विश्लेषण करने में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया है।इसके अलावा, अधिस्थगन अवधि के भीतर भारत के पास मुख्य नमूनों तक विशेष पहुंच है।
पिछले 3 वर्षों के दौरान, भारत ने दक्षिणी और अंटार्कटिक महासागरों में दीर्घकालिक वैज्ञानिक ड्रिलिंग कार्यक्रमों में भाग लिया है, तथा क्षेत्रीय के साथ ही साथ वैश्विक वैज्ञानिक चुनौतियों का समाधान किया है।